DETAILS, FICTION AND MAIN MENU इतिहास मध्यकालीन भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास विश्व का इतिहास जनरल नॉलेज ?

Details, Fiction and Main Menu इतिहास मध्यकालीन भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास विश्व का इतिहास जनरल नॉलेज ?

Details, Fiction and Main Menu इतिहास मध्यकालीन भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास विश्व का इतिहास जनरल नॉलेज ?

Blog Article

लॉर्ड मेयो ने वायसराय के रूप में कार्य किया

आर्य लोग खानाबदोश गड़ेरियों की भांति अपने जंगली परिवारों और पशुओं को लिए इधर से उधर भटकते रहते थे। इन लोगों ने पत्थर के नुकीले हथियारों से काम लेना सीखा। मनुष्यों की इस सभ्यता को वे 'यूलिथ- सभ्यता' कहते हैं। इस सभ्यता में कुछ सुधार हुआ तो फिर 'चिलियन' सभ्यता आई। इन हथियार औजारों की सभ्यता के समय का मनुष्य नर वानर के रूप में थे। उनमें वास्तविक मनुष्यत्व का बीजारोपण नहीं हुआ था।

फारसी सम्राट, नादिर शाह ने भारत पर आक्रमण किया

साम्प्रदायिकता का इतिहास भारत में साम्प्रदायिकता की समस्या एवं हिन्दू प्रतिरोध

ई लेख भारत आ आसपास की क्षेत्र get more info की इतिहास खातिर बाटे। आजादी की बाद भारत गणतन्त्र की इतिहास खातिर देखल जाय: भारत गणतन्त्र क इतिहास।

अन्य बौद्ध ग्रंथ : लंका के इतिवृत्त महावंस और दीपवंस भी भारत के इतिहास पर प्रकाश डालते हैं। महावंस, दीपवंस व महाबोधिवंस तथा महावस्तु मौर्यकाल के इतिहास की जानकारी देते हैं। दीपवंस की रचना चौथी और महावंस की पाँचवी शताब्दी ई. में हुई। मिलिंदपन्हो में यूनानी शासक मिनेंडर और बौद्ध मिक्षु नागसेन का वार्तालाप है। इसमें ईसा की पहली दो शताब्दियों के उत्तर-पश्चिमी भारत के जीवन की झलक मिलती है। दिव्यावदान में अनेक राजाओं की कथाएँ हैं जिनके अनेक अंश चौथी शताब्दी ई.

ब्रह्मवैवर्त पुराण में पुराणों के पाँच लक्षण बताये गये हैं- सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वन्तर तथा वंशानुचरित। सर्ग बीज या आदिसृष्टि है, प्रतिसर्ग प्रलय के बाद की पुनर्सृष्टि को कहते हैं, वंश में देवताओं या ऋषियों के वंश-वृक्षों का वर्णन है, मन्वन्तर में कल्प के महायुगों का वर्णन है। वंशानुचरित पुराणों के वे अंग हैं जिनमें राजवंशों की तालिकाएँ दी गई हैं और राजनीतिक अवस्थाओं, कथाओं और घटनाओं का वर्णन है। किंतु वंशानुचरित केवल भविष्य, मत्स्य, वायु, विष्णु, ब्रह्मांड तथा भागवत पुराणों में ही प्राप्त होता है। गरुड़-पुराण में पौरव, इक्ष्वाकु और बार्हद्रथ राजवंशों की तालिका मिलती है, किंतु इनकी तिथि अनिश्चित है।

विश्व इतिहास बहुत बड़ा है, इसका संक्षिप्त कालक्रम इतिहास इस प्रकार है–

पू. से लेकर मौर्यकाल तक का इतिहास प्रस्तुत करता है।

श्री गुप्त द्वारा गुप्त साम्राज्य की स्थापना

) जैसे गणराज्यों ने भी सिक्के जारी किये थे। यौधेय शासकों द्वारा जारी ताँबे के हजारों सिक्के मिले हैं, जिनसे यौधेयों की व्यापार में रुचि और सहभागिता परिलक्षित होती है।

पतंजलि का ‘महाभाष्य’ और कालीदासकृत ‘मालविकाग्निमित्र’ शुंगकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोत हैं। मालविकाग्निमित्र में कालिदास ने पुष्यमित्र शुंग के पुत्र अग्निमित्र तथा विदर्भराज की राजकुमारी मालविका की प्रेमकथा का उल्लेख किया है। ज्योतिष ग्रंथ ‘गार्गी संहिता’ में यवनों के आक्रमण का उल्लेख है। कालीदास के ‘रघुवंश’ में संभवतः समुद्रगुप्त के विजय-अभियानों का वर्णन है। सोमदेव के ‘कथासरित्सागर’ और क्षेमेंद्र के ‘बृहत्कथामंजरी’ में राजा विक्रमादित्य की कुछ परंपराओं का उल्लेख है। शूद्रक के ‘मृच्छकटिक’ नाटक और दंडी के ‘दशकुमार चरित’ में भी तत्कालीन समाज का चित्रण मिलता है।

भारत पर आक्रमण के समय सिकंदर के साथ आनेवाले लेखकों ने भारत के संबंध में अनेक ग्रंथों की रचना की। इनमें नियार्कस, आनेसिक्रिटस, अरिस्टोबुलस, निआर्कस, चारस, यूमेनीस आदि के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं। इन लेखकों ने तत्कालीन भारतीय इतिहास का अपेक्षाकृत प्रमाणिक विवरण दिया है।

) ने उपमितिभव प्रपंच कथा, जिनेश्वर सूरि ने कथाकोश प्रकरण और नवीं शताब्दी ई. में जिनसेन ने आदि पुराण और गुणभद्र ने उत्तर पुराण की रचना की। इन जैन ग्रंथों से तत्कालीन भारतीय सामाजिक और धार्मिक दशा पर प्रकाश पड़ता है।

Report this page